एशियन सहयोगी संस्था इण्डिया ने दो बच्चों को अपने परिजनों से मिलाया
गोरखपुर। पश्चिम चम्पारण के मैनाटाढ़ की रहने वाली सलीमुन निशां अपने दो वर्षीय पुत्र व 7 माह की पुत्री के साथ अपने झटके की बीमारी का इलाज कराने गोरखपुर आ रही थी। परिजनों के अनुसार बच्चों की माँ गोरखपुर के पहले किसी स्टेशन पर बोतल में पानी भरने के लिये ट्रेन से उतरी इतने में ट्रेन चल पड़ी। दोनों बच्चे ट्रेन में ही छूट गये।
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने दोनो बच्चों को बरामद किया। बाल कल्याण समिति गोरखपुर के आदेश से एशियन सहयोगी संस्था इण्डिया द्वारा संचालित बाल शिशु गृह में दोनो बच्चों को आवासित कराया गया। बच्चे जब संस्था में आये थे तो उस समय दोनों बदहवास हालत में लग रहे थे। संस्था के कर्मचारियों के उचित देखभाल एवं स्नेह के कारण बच्चें जल्द ही अन्य बच्चों के साथ घुल-मिल गये। संस्था एवं बाल कल्याण समिति गोरखपुर के अथक प्रयास से पता चला कि बच्चे मैनाटाढ़, पश्चिम चम्पारण बिहार के रहने वाले है। सूचना के आधार पर संस्था ने पश्चिम चम्पारण में कार्यरत संस्था के कर्मचारियों को बच्चों के घर का पता लगाने के लिये निर्देशित किया। इसके उपरान्त संस्था के कर्मचारियों ने तत्परता से मैनाटाढ़ जाकर फोटो दिखाकर गुमशुदा बच्चों की तलाश शुरू की।
फोटो देखने के बाद स्थानीय लोगों ने बच्चों की पहचान की। बच्चों के पिता जो दिल्ली में मजदूरी का काम करते है उनका नम्बर दिया। संस्था द्वारा बच्चों के पिता से संपर्क किया गया तो उनका पिता गोरखपुर आये तथा संस्था के मदद से बाल कल्याण समिति के समक्ष बच्चों तथा उनके परिजानों को प्रस्तुत कर बच्चों को उनके पिता को सौंप दिया गया।
संस्था की प्रशानिक निदेशक उषा दास ने बताया कि जब भी बच्चे हमारी संस्था में आवासित कराये जाते है तो हमारा प्रथम प्रयास रहता है कि बच्चों के घर का पता करके उनको उनके परिजनों से मिला दिया जाए। इसी प्रकार संस्था विगत कई वर्षों से बच्चों के उत्थान एवं पुनर्वासन हेतु कार्य कर रही है।
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