एकेडेमिक ग्लोबल स्कूल में दो दिवसीय छात्र शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन
- दिल्ली से आए प्रशिक्षक मनुकूल ने छात्रों व शिक्षकों को दिया जीवन जीने का मंत्र
गोरखपुर। पादरी बाजार क्षेत्र के जंगल धूषण स्थित एकेडमिक ग्लोबल स्कूल में दो दिवसीय छात्र-शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। दिल्ली से आए देश के प्रसिद्ध प्रशिक्षक मनुकूल, विद्यालय के चेयरमैन इं. संजीव कुमार, निदेशक राजेश कुमार, सहायक निदेशक संदीप कुमार, निदेशक करुणा भदानी, प्रधानाचार्य वीसी चाको ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया।
शुक्रवार को प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर निदेशक राजेश कुमार, प्रधानाचार्य वीसी चाको ने मुख्य अतिथि व प्रशिक्षक मनुकूल को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। शिक्षक आशीष उपाध्याय ने विद्यालय की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान अभिभावकों व छात्रों के लिए विद्यालय के यूट्यूब चैनल व फेसबुक पेज सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षण कार्यशाला का लाइव प्रसारण भी किया गया। अभिभावकों ने प्रशिक्षण की बेहद सराहना की।
इस दौरान कुछ अभिभावकों के व्यक्तिगत प्रश्नों व छात्रों को शिक्षण ग्रहण करने के दौरान होने वाली समस्याओं से उबरने के टिप्स भी दिए गए। कार्यशाला के दौरान छात्रों द्वारा अपनी समस्याओं को कागज पर लिखकर एक डब्बे में रखा गया जहां उन तमाम समस्याओं के निदान पर भी परिचर्चा की गई। शिक्षण के दौरान शिक्षकों को होने वाले तमाम मूलभूत परेशानियों, शिक्षक व प्रबंधन के बीच समन्वय स्थापित करने, छात्रों में शिक्षकों के बीच बढ़ रही दूरियों, मोबाइल की लत आदि विषयों पर विशेष चर्चा की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोटिवेशनल स्पीकर मनुकूल ने कहा कि हमेशा अपने आपको दुनिया से आगे रखना सीखें, यह ब्रह्मांड आपकी दुनिया है। लक्ष्य को ध्यान में केंद्रित कर ही आगे बढ़े, दिमाग को सादगीपूर्ण तरीके से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें। गणित में सिर्फ शून्य ही परफेक्ट है। बुद्धि को दो भागों में बांटा गया है जिसमें जागृत अवस्था व सुषुप्त अवस्था की बुद्धि शामिल है। ब्रेन एक जेनेरेटर की तरह है जो काम करने के लिए आपको ऊर्जा प्रदान करती है। सोच से लक्ष्य नहीं हासिल होता है सोच के साथ उस पर अडिग निर्णय लेने से लक्ष्य की प्राप्ति होती है। सारी दुनिया आपके बुद्धि में समाहित है जबकि आप स्वयं अपने हृदय में समाहित हैं।
व्यक्ति जब भविष्य की बात करता है उस समय उनकी सुशुप्त अवस्था की बुद्धि कार्य करती है। हमारा व्यवहार ही हमारी सोच को दर्शाता है। जब भी आपके दिल और दिमाग के बीच द्वंद्व की स्थिति हो तो आप अपने दिल की सुने न कि दिमाग की। गांधी जी को जब ट्रेन से बाहर फेंका गया तब उन्होंने निर्णय लिया कि एक दिन पूरे हिंदुस्तान से अंग्रेजों को बाहर फेंकूँगा और उन्होंने कर दिखाया यह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
सेमिनार में कर हर मैदान फतह रे बन्दया गीत दिखाकर बच्चों को लक्ष्य के प्रति प्रेरित किया गया।
आगे उन्होंने कहा कि बिना शिक्षक के कोई भी छात्र आगे नहीं बढ़ सकता। शिक्षक और मां ही आपके साथ हर मौके पर खड़े मिलेंगे। किसी के साथ अपनी तुलना न करें, स्वयं पर भरोसा रखें निश्चित तौर पर आपकी विजय होगी।
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